हजारों को पढ़ा चुके हैं प्रधानाचार्य, अब खुद बने छात्र

हजारों को पढ़ा चुके हैं प्रधानाचार्य, अब खुद बने छात्र


प्रधानाचार्य थे। 100-200 नहीं, हजारों छात्रों को पढ़ाया-लिखाया। जिनके पढ़ाए छात्र प्रशासनिक सेवा से लेकर डॉक्टर और इंजीनियर हैं। वह ज्योतिष विज्ञान और वास्तुशास्त्र के ज्ञान की चाह में अब खुद छात्र बन गए हैं। सिर्फ प्रधानाचार्य ही नहीं मनोरंजन कर विभाग से रिटायर असिस्टेंट कमिश्नर भी यूनिवर्सिटी के संस्कृत विभाग में ज्योतिष और वास्तुशास्त्र का ज्ञान ले रहे हैं।


इनकी क्लास 90 दिन तक चलेगी। जोश से भरे 60 पार के ये स्टूडेंट दावा करते हैं कि वह एक क्लास भी नहीं छोड़ेंगे। तारामंडल क्षेत्र में जीडीए की कालोनी में रहने वाले वाचस्पति दीक्षित मनोरंजन कर विभाग में तीन साल पूर्व असिसटेंट कमिश्नर के पद से रिटायर हुए थे। बेटा सौरभ दीक्षित आईपीएस और तो बहु आईएफएस। मंगलवार को प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 2 बजे से होना था, पहुंच गए डेढ़ बजे ही। विभागाध्यक्ष प्रो.मुरली मनोहर से मुलाकात कर क्लास के बारे में जानकारी ली और सीधे क्लास में पहुंच गए। क्लास में आगे की सीट पर आचार्य नरेन्द्र देव इंटर कॉलेज से पिछले वर्ष प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत लोकेन्द्र नाथ शुक्ला बैठे नजर आए। उत्साह से लबरेज लोकेन्द्र नाथ सहपाठियों से परिचय लेते नजर आये।


वहीं गृहिणी इन्द्रा तिवारी ने 65 वर्ष की उम्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रवेश लिया था। ज्योतिष और वास्तुशास्त्र के तीन महीने के पाठ्यक्रम में 60 लोगों को प्रवेश मिला है। उम्र की सीमा नहीं होने से ज्योतिष में रूचि लेने वाले कई लोगों ने प्रवेश लिया है। तीन महीने के पाठ्यक्रम में 18 महिलाएं हैं। 65 वर्षीय गृहिणी इन्द्रा को छोड़ दें तो अधिकतर संस्कृत विभाग की स्नातक और परास्नातक की स्टूडेंट हैं। सबसे कम उम्र की स्टूडेंट स्वयंप्रभा पांडेय हैं। गोरखनाथ क्षेत्र की रहने वाली स्वयंप्रभा यूनिवर्सिटी में बीए द्वितीय वर्ष की स्टूडेंट है।


गौरतलब


-3 महीने का है पाठ्यक्रम


-60 स्टूडेंट का हुआ है प्रवेश


-150 लोगों ने दिया था साक्षात्कार


-75 कार्यदिवस होगी पढ़ाई


-ज्योतिष और वास्तु प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आचार्य शरद चन्द्र मिश्रा और विक्रम ज्योति पांडेय की उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान से हुई है तैनाती


उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान की तरफ से संचालित तीन महीने के कोर्स को लेकर मंगलवार से पढ़ाई शुरू हो गई। दो शिक्षकों की तैनाती संस्थान ने की है। इनके अलावा अन्य विशेषज्ञ भी क्लास लेंगे। कोशिश है लोग ज्योतिष और वास्तुशास्त्र की पढ़ाई कर ज्ञान के साथ रोजगार भी अर्जित करें।


प्रो.मुरली मनोहर पाठक, विभागाध्यक्ष


बोले स्टूडेंट


ज्योतिष और वास्तुशास्त्र हमारी परम्परा से जुड़ा विषय है। ज्योतिष की बारीकियों के विषय में जानने की इच्छा रही। मौका मिला तो साक्षात्कार लेकर प्रवेश लिया है। क्लास को लेकर उत्साहित हूं।


वाचस्पति दीक्षित, सेवानिवृत असिसटेंट कमिश्नर मनोरंजन कर


ज्योतिष शास्त्रों का सिरमौर है। पिछले दिनों पाठ्यक्रम को जानकारी मिली तो विभाग पहुंच गया था। बच्चों की उम्र के सहपाठियों के साथ ज्ञान अर्जित करने से काफी उत्साहित हूं।


लोकेन्द्र नाथ शुक्ला, सेवानिवृत प्रधानाचार्य


कर्म को समझने के लिए ज्योतिष विज्ञान का ज्ञान सहायक है। इसे धर्म से जोड़ना ठीक नहीं है। इसे सभी को पढ़ना चाहिए। ज्योतिष का ज्ञान कर्म के